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लेखनी कहानी -10-Jan-2023 मुहावरों पर आधारित कहानियां

12. उस्तादी उस्ताद से 

यह कहानी अपने मुंह मिंया मिठ्ठू बनना मुहावरे को ध्यान में रखकर लिखी गई है । 

शहर में चोरियों की बाढ आ गई थी । लगातार चोरियां होने के कारण पुलिस की बहुत किरकिरी हो रही थी । चोर इतना बुद्धिमान था कि वह हर बार नये नये तरीकों से चोरी करता था इसलिए पकड़ में नहीं आता था । 

इस बात से दीनू चोर बहुत खुश था । उसने अपने गिरोह में चार पांच और चोरों को जोड़ लिया था । दीनू इन सब चोरों का सरगना था । चोरी की योजना बनाने से लेकर उसे अंजाम तक पहुंचाने का काम दीनू के नेतृत्व में ही होता था । इतनी अधिक चोरियां करने पर भी वह अभी तक पकड़ में नहीं आया था । उसे बहुत गुमान था कि वह आंख में से काजल भी चुरा सकता है और इसकी किसी को कानों कान खबर भी नहीं होती है । बाकी सारे चोर उसकी इस "नैसर्गिक प्रतिभा" के कायल थे और उसका लोहा मानते थे । इस उपलब्धि पर दीनू को बहुत गर्व था । वह कभी भी अपने मुंह मिंया मिठ्ठू नहीं बनता था । अपने मुंह मिंया मिठ्ठू बनने की उसे आवश्यकता भी नहीं थी । पूरी चोर बिरादरी उसकी कद्रदान थी । वह चोरों का उस्ताद बन गया था । 

उसी शहर में एक सुनार भी रहता था जिसका नाम चतुर था । यथा नाम तथा गुण मुहावरा शायद उसी को देखकर बना था । अपने फन का वह जबरदस्त मास्टर था । सोने, चांदी, हीरे, मोतियों के ऐसे ऐसे आभूषण बनाता था कि लोग दांतों तले उंगलियां दबाने को विवश हो जाया करते थे । उसकी कलाकारी के कारण आभूषणों के व्यवसाय में उसका बहुत बड़ा नाम हो गया था और उसकी ख्याति दूर-दूर दूर तक फैल गई थी । उसने एक बहुत बड़ा शो रूम खोल लिया था जिसमें सीसीटीवी कैमरे वगैरह लगा लिये थे जिससे कोई चोरी करे तो उसे पकड़ा जा सके । शो रूम की व्यवस्था उसके पुत्र देखते थे । वह तो घर से ही मॉनीटरिंग करता था । गेट पर एक सुरक्षा कर्मी तैनात कर दिया था जो शो रूम में आने वालों के नाम, पता, मोबाइल नंबर वगैरह एक रजिस्टर में लिखता था । इस प्रकार उसके शो रूम में आने वाले समस्त लोगों का रिकॉर्ड रखा जाता था । उसके शो रूम से कभी चोरी नहीं हुई थी । 

दीनू ने चतुर सुनार के शो रूम के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था । दीनू को यह गुमान था कि वह आज तक कभी पकड़ा नहीं गया है और चतुर सुनार को यह गुमान था कि उसके शो रूम से आज तक कभी कोई चोरी नहीं हुई है । दोनों व्यक्ति अपने अपने फन के महान कलाकार थे । दोनों में श्रेष्ठ कौन था, यह अभी तय नहीं हुआ था । 

दीनू ने चतुर सुनार के शो रूम "अलग" में चोरी करने की योजना बनाई । वह एक सरदार का वेश बनाकर "अलग" पहुंचा । उसे वहीं गेट पर रोक लिया गया । गेट पर उसकी "फ्रिस्किंग" की गई कि वह कोई हथियार वगैरह तो लेकर नहीं आया है कहीं ? आगे बढने पर एक गार्ड ने रजिस्टर में उसका नाम, पता, मोबाइल नंबर और आधार कार्ड मांगा । उसने सारे दस्तावेज फर्जी बनवा रखे थे । उनकी कॉपी उसने गार्ड को दे दी । गार्ड ने उस मोबाइल पर घंटी मारकर चैक किया कि वह नंबर असली है या नकली । इस व्यवस्था को देखकर दीनू बहुत आश्चर्य चकित हुआ । उसने गार्ड से पूछ ही लिया "मोबाइल पर घंटी बजाकर चैक करते हो , यह बहुत बड़ी बात है । क्या पहले कुछ गड़बडी हो गयी थी" ? गार्ड ने सीधे स्वभाव के कारण कह दिया "एक दिन एक मुसलमान औरत बुर्के में आई और वह आभूषणों की चोरी करके ले गई । उसके मोबाइल नंबर पर फोन किया तो पता चला कि वह फर्जी नंबर था । वो तो सेठ जी की बुद्धिमत्ता से पकड़ में आ गई वरना लाखों के गहने पार कर लिए थे उसने" । 
"सेठ जी ने कैसे पकड़ा" ? 
"ये मुझे नहीं पता , सेठ जी से ही पूछ लेना" । और वह अपने काम में लग गया । 

दीनू को पता चल गया था कि सुरक्षा व्यवस्थाऐं एकदम चाक चौबंद हैं और सेठ जी तो जैसे "जेम्स बॉण्ड" ही हैं । फिर कैसे चोरी हो सकती है ? लेकिन बहादुर तो वही कहलाता है जो चुनौतियों को स्वीकार करे । दीनू ने यह चुनौती स्वीकार कर ली । 

एक दिन "अलग" पर दो औरतें बुरके में आईं । उनकी भली भांति फ्रिस्किंग की गई और गार्ड ने रजिस्टर में नाम पता वगैरह भी लिख लिया । मोबाइल नंबर पर फोन करके भी चैक कर लिया गया । अब वे दोनों औरतें शो रूम के अंदर दाखिल हो गईं । उन्हों सोने और हीरों के विभिन्न आभूषण देखे । उनमें से कुछ आभूषण खरीदे और उनका भुगतान करके चली गईं । काउंटर पर बैठा व्यक्ति अचानक जोर से चिल्लाया "अरे पकड़ो उन दोनों औरतों को । वे दोनों बुर्के वाली औरतें करोड़ों के आभूषण चुरा कर ले गईं हैं । पकड़ो पकड़ो" । 

शो रूम में अफरा तफरी मच गई । आज तक कभी चोरी नहीं हुई थी इस शो रूम में , मगर आज यह रिकॉर्ड भी टूट गया था । चतुर सुनार बहुत उस्ताद बनता था , आज कोई और उस्ताद इस उस्ताद से उस्तादी कर गया । चतुर सुनार के दोनों बेटे बदहवास से इधर उधर घूम रहे थे और अपने स्टॉफ पर बरस रहे थे । उन्होंने गार्ड को बुलवाया और उससे कहा "तुमने उनके मोबाइल नंबर पर फोन करके चैक किया या नहीं" ? 
"किया था हुजूर" 
"तो फिर से करो उन नंबरों पे फोन" 

गार्ड ने उन नंबरों पर फोन किया तो वे शो रूम के ही एक कोने में बज उठे । वे समझ गये कि मोबाइल नंबर से उन्हें नहीं पकड़ा जा सकता है । सीसीटीवी चैक किया तो उसमें उनका बुरका ही दिखाई दे रहा था । बुरके में से केवल दो आंखें ही दिख रही थी, और कुछ नहीं । अब क्या करें ? सीसीटीवी में उनकी चोरी साफ दिखाई दे रही थी । पर वे औरतें कौन हैं, कहां रहती हैं कुछ पता नहीं चल रहा था । पुलिस को फोन कर बुलवा लिया । अपनी इमेज के विपरीत पुलिस तुरंत वहां आ भी गई । सब ग्राहकों की, कर्मचारियों की तलाशी ली गई मगर कहीं कुछ  नहीं मिला । इस प्रक्रिया में डेढ दो घंटा लग गये । 

चतुर सुनार के दोनों लड़के हतोत्साहित हो गये । उन्होंने इसकी सूचना चतुर सुनार को देने के लिए उसे फोन मिलाया और रोते रोते सारा वाकया कह सुनाया । चतुर सुनार ने उन्हें ढांढस बढाते हुए कहा "घबराओ मत मेरे बच्चो, ईश्वर सब ठीक कर देगा । मैं अभी शो रूम पर आ रहा हूं" । 

थोड़ी देर में चतुर सुनार "अलग" शो रूम पर आ गया । उसने सारे हालातों का जायजा लिया और सबको धीरज बंधाया तथा कहा "थोड़ा इंतजार करो । भगवान की क्या लीला है , यह वो ही जानता है । मेरा विश्वास है कि चोर अभी आते ही होंगे माल लौटाने" । 

चतुर सुनार के इतना कहने के पश्चात लोगों ने शो रूम के बाहर की ओर देखा तो वे सब हैरान रह गये । पुलिस दो लोगों को पकड़ कर उन्हें पीटती हुई ला रही थी । सब लोगों को आश्चर्य हुआ कि पुलिस इन्हें क्यों पीट रही है ? इन बेचारों ने चोरी थोड़ी की है ? चोरी तो दो बुरके वाली औरतों ने की है । लेकिन पुलिस के सामने बोले कौन ? सब लोग उन्हें पिटते देखते रहे । 

जब पिटाई का कार्यक्रम संपन्न हो गया तो पुलिस ने चतुर सुनार से कहा "ये लो सेठ जी आपके अपराधी और ये रहा चोरी का माल" । 

चतुर सुनार के लड़कों ने वह माल देखा तो वह माल उनके शो रूम का ही था । उस पर शो रूम का विशेष मार्क भी लगा हुआ था । अब शक की कोई गुंजाइश नहीं थी । इसका मतलब यह हुआ कि वे दोनों बुरके वाली औरतें यही दोनों आदमी थे । पर लाख टके का सवाल यह था कि इन्हें पकड़ा कैसे ? 

पुलिस ने कहा "हमने कुछ नहीं किया है, सब कुछ सेठ जी ने ही किया है । सेठ जी जैसे जैसे कहते गये , हम लोग वैसे वैसे करते गये । आखिर एक मकान में हमने इन दोनों को दबोच लिया । ये दोनों चोर तब अपने कपड़े बदल रहे थे । हमने इन्हें माल सहित पकड़ लिया और यहां ले आये" । 

अब सबकी निगाहें चतुर सेठ पर टिक गईं । चतुर सेठ ने भी सस्पेंस से पर्दा हटाते हुए कहा "मैंने अपने घर में सीसीटीवी का एक मॉनीटर लगा रखा है जिस पर मैं मॉनीटरिंग करता हूं । जब ये दो बुरके वाली औरतों को मैंने देखा तो मुझे शक हो गया । इनका डील डौल औरतों जैसा नहीं लग रहा था । मैंने इनकी आंखों को स्कैन किया तो उससे पता चल गया कि ये दोनों मर्द हैं । मैंने इनकी हर एक गतिविधि पर निगरानी रखनी शुरु कर दी और पुलिस को भी इसकी इत्तला दे दी । पुलिस को शो रूम के बाहर इंतजार करने के लिए कह दिया । 

मुझे पता था कि आभूषण रखने वाले प्रत्येक डिब्बे में एक खास चिप लगी हुई है जो उसकी लोकेशन मेरे मॉनीटर पर बताती रहती है । बस उसी के आधार पर मैं पुलिस को हिदायत देता रहा कि उसे कहां पहुचना है । और ये दोनों शातिर चोर पकड़ में आ गये" 

फिर वह दीनू चोर से बोला "बच्चू, माना कि तुम बहुत बड़े उस्ताद हो पर हम उस्तादों के उस्ताद हैं । तुम उस्तादों के उस्ताद से ही उस्तादी करने चले थे, यही तुम्हारी सबसे बड़ी भूल थी । तुमने हमें बहुत तुच्छ समझ लिया था । अब जेल की चक्की पीसो । ले जाओ इन दोनों शातिर चोरों को" 

सब लोग हक्के बक्के होकर चतुर सुनार की चतुराई देखते रह गये । 

श्री हरि 
17.1.2023 

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2 Comments

Gunjan Kamal

20-Jan-2023 04:20 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻🙏🏻

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Hari Shanker Goyal "Hari"

22-Jan-2023 08:07 PM

धन्यवाद मैम

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